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ToggleMaharaja Hari Singh : Kashmir Jihad और India Pakistan Relatons में उनकी भूमिका
कश्मीर के आखिरी शासक महाराजा हरि सिंह जिनका नाम कश्मीर और भारत के इतिहास के पन्नों पर लिखा हुआ है।
Maharaja Hari Singh का जीवन कश्मीर की राजनीति, कश्मीर संघर्ष और भारत पाकिस्तान विवाद से गहराई से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जो कश्मीर के भविष्य निर्धारण में और भारत पाकिस्तान के संघर्ष में महत्वपूर्ण रहा।
कश्मीर राजनीति से जुड़ा महत्वपूर्ण नाम शेख अब्दुल्ला के साथ भी हरि सिंह का संबंध विशेष रूप से चर्चा का विषय रहा। इन दोनों नेताओं के बीच के संबंधों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और कश्मीर के भारत विलय में गहरा प्रभाव डाला ।

आज के इस लेख में हम महाराजा हरि सिंह और Sheikh Abdullah के जीवन परिचय, कश्मीर संघर्ष में उनकी भूमिका, भारत पाकिस्तान युद्ध में उनकी भूमिका और उन दोनों के आपसी संबंधों के बारे में जानेंगे।
कौन हैं हरि सिंह नलवा ( Who was Maharaja Hari Singh )
महाराजा हरि सिंह जिन्होंने कश्मीर में 1925 से 1947 तक 22 वर्षों तक का शासन किया। इनका तालुका कश्मीर के शाही राजवंश से था। इनका जन्म 23 सितंबर 1895 को महाराजा Hari Pratap Singh जो कि कश्मीर के राजनेता और शासक थे उनके घर हुआ था।
इनकी माता का नाम रानी किशोरी महल था जो खुद भी एक महत्वपूर्ण शाही परिवार से ताल्लुक रखती थी। महाराजा हरि सिंह के न केवल पिता बल्कि उनके दादा परदादा भी शाही उत्तराधिकारी और राजकीय जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके थे।
यही कारण था कि Sardar hari singh nalwa को एक शासक के रूप में बहुत अच्छी शिक्षा मिली थी। कश्मीर को एक शक्तिशाली और समृद्धि राज्य बनाने में इनका और इनके परिवार का महत्वपूर्ण भूमिका रहा था।
Sardar Hari Singh Nalwa का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
बात करें उनकी शिक्षा की, Hari Pratap Singh का आरंभिक शिक्षा कश्मीर में हुई जहां उन्हें राजा महाराजाओं को जिस तरह शिक्षा दी जाती है उसी प्रकार की शिक्षा मिली। उनके पूर्वज कश्मीर के शासक होने के कारण उन्हें न केवल भारत के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी दी गई बल्कि उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक शिक्षा भी दिया गया जो उनमें नेतृत्व के कौशल को विकास करने में मददगार साबित हुआ।
उन्हें पश्चिमी शिक्षा भी दी गई ताकि वे पश्चिमी राजवंशों और उनके राजनीति को जानकर अपने नेतृत्व शैली को और भी ज्यादा निखार सके। उन्हें कई राजा महाराजा और शासको से बातचीत करने और मिलने का अवसर मिला था जिसके कारण उन्हें विभिन्न राजवंश और देश की राजनीति को समझने में मदद मिली जो उन्हें एक अच्छा शासक बनने में महत्वपूर्ण रहा।
Lamba hari singh के प्रशासनिक दृष्टिकोण और उनके शासनकाल के दौरान लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय से ही पता चलता है कि उन्हें कितनी अच्छी शिक्षा प्राप्त हुई थी। बेहतरीन शिक्षा प्राप्त करने के कारण ही अपने शासनकाल में कश्मीर में विभिन्न प्रकार के सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारो के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण कदम उठाए।
कश्मीर में अपने शासन के दौरान महाराजा हरि सिंह आधुनिक प्रशासन और आधुनिक शासन प्रणाली की जरूरत को समझते हुए अपने साम्राज्य को उसी प्रकार अनुकूलित करने का प्रयास किए।
Sheikh Abdullah का जीवन परिचय और शिक्षा
शेख अब्दुल्ला का नाम कश्मीर के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण है। यह कश्मीर के एक प्रमुख मुस्लिम नेता थे जिन्हें “कश्मीर का नेहरू” के नाम से भी जाना जाता था। कश्मीर के राजनीतिक व सामाजिक परिवर्तन और कश्मीर के संघर्ष में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अपने राजनीतिक जीवन में शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर के मुस्लिम जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। शेख अब्दुल्ला का जन्म कश्मीर के प्रमुख शेख परिवार में 5 दिसंबर 1905 को श्रीनगर में हुआ था। शेख अब्दुल्ला का प्रारंभिक जीवन बहुत ही सामान्य था।
इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कश्मीर से ही प्राप्त की। उसके बाद वे दिल्ली चले गए और आगे की शिक्षा इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रहण की। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान शेख अब्दुल्ला ने उस समय के प्रमुख विचारक और नेताओं से प्रभावित होकर राजनीति में अपनी रुचि विकसित की। फिर क्या था अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद वे कश्मीर में राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए।
कश्मीर के मुसलमानो के अधिकार के लिए 1932 में इन्होंने कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस KNC की स्थापना की जो कि कश्मीर के मुस्लिम समुदायों की राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना।
इस कांफ्रेंस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य कश्मीर मुसलमानो की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं को हल करना था और इस दिशा में शेख अब्दुल्ला ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए । इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरणा ली और भारत के राजनीति में कश्मीर की जनता के लिए जगह बनाने के लिए आंदोलन भी शुरू किए।
Sheikh Abdullah और Hari Singh के रिश्ते
शेख अब्दुल्ला और Lamba Hari Singh दोनों ही कश्मीर के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं हालांकि दोनों का विचार एक दूसरे से विरोधाभासी रहें। शेख अब्दुल्ला कश्मीर को शुरू से ही एक स्वतंत्र राज्य के रूप में रखना चाहते थे। कश्मीर के इतिहास में उन्होंने एक स्वायत्त की मांग की।
लेकिन Lamba hari singh शेख अब्दुल्ला के मांगों को समझते थे फिर भी वे इस बात पर अडिग थे कि कश्मीर को भारत संघ का हिस्सा बन जाना चाहिए। शेख अब्दुल्ला की विचारधारा कश्मीर को भारत संघ से हमेशा दूर रखना था।
उन्हें बहुत बार पाकिस्तान के साथ अधिक सहानुभूति होती थी जिसके कारण उन्हें कई बार समस्याओं को झेलना पड़ा। हालांकि कश्मीर की राजनीति में शेख अब्दुल्ला और महाराजा Hari Singh के बीच कई महत्वपूर्णकई समझौते हुए।
कश्मीर संघर्ष और India Pakistan Relations में भूमिका
1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ उस समय कश्मीर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में था I पाकिस्तान उसे अपने देश में शामिल करने के लिए कबाइलियों की मदद से कश्मीर के मुस्लिम आबादी वाले हिस्से में घुसपैठ करना शुरू कर दिया।
पाकिस्तान ने जब कश्मीर पर हमला किया उस समय Hari Pratap Singh के पास बहुत कम सैना थी। ऐसे में उनके सामने एक कठिन निर्णय लेने की आवश्यकता पड़ी कि कश्मीर को भारत संघ का हिस्सा बनाया जाए या नहीं। कम सैन होने के कारण और पाकिस्तान के हमले का सामना करने के लिए महाराजा हरि सिंह को भारतीय सैना की मदद की जरूरत पड़ी।
Lamba hari singh ने भारतीय सैना से मदद मांगी लेकिन उसके बदले में कश्मीर को भारत संघ का हिस्सा बनने के अधिनियम पर हस्ताक्षर करने की शर्त रखी गई। कश्मीर को बचाने के लिए महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया जिसके बाद स्वतंत्र राज्य कश्मीर भारत संघ का हिस्सा बन गया ।
इस प्रकार कश्मीर को भारत संघ का हिस्सा बनाने में Sardar hari singh nalwa का महत्वपूर्ण भूमिका रहा। क्योंकि उन्ही के हस्ताक्षर के कारण कश्मीर आज भारत का हिस्सा है। हालांकि कश्मीर का भारत में विलय हो जाने के बाद भी पाकिस्तान चुप नहीं रहा उसने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया।
कश्मीर को दोबारा पाने के लिए पाकिस्तान की सैना ने कश्मीर पर हमला किया। पाकिस्तान की सेना के खिलाफ युद्ध करने के लिए 1947-48 के शरद ऋतु में भारत पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध हुआ जो जनवरी 1949 तक चला। भारत-पाकिस्तान युद्ध को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने हस्तक्षेप किया।
दोनों देशों से युद्ध विराम की अपील करते हुए कश्मीर को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया एक हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से में चला गया जिसे आज पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर POK कहा जाता है वहीं दूसरा हिस्सा भारत संघ का अंग है। इस विभाजन के बाद कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल LOC बनाया गया। यह सीमा आज भी दोनों देशों के बीच एक संवेदनशील सीमा बना हुआ है।
Sheikh Abdullah और Maharaja Hari Singh का विवाद
कश्मीर का भारत में विलय हो जाने के बाद भी शेख अब्दुल्ला कश्मीर के लिए एक पूर्ण स्वायत्तता की मांग किए। कश्मीर को भारतीय संविधान से बाहर एक विशेष स्थान की मांग चाहते थे I लेकिन Hari pratap singh कश्मीर को भारतीय संघ का हिस्सा बना चुके थे जिसके कारण उन दोनों के बीच के मतभेद और भी ज्यादा बढ़ गए।
शेख अब्दुल्ला कश्मीर के स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे। वे कश्मीर के मुस्लिम समुदायों के अधिकारों के लिए राजनीतिक संघर्ष कर रहे थे। धिरे-धीरे वे भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के साथ भी जुड़ गए। कश्मीर को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में बनाने के लिए शेख अब्दुल्ला ने आंदोलन भी किया जिसके कारण उन्हें 1953 में गिरफ्तार कर लिया गया।
शेख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी के बाद कश्मीर में Hari singh का प्रभाव कम हो गया जिसके बाद कश्मीर में भारतीय प्रशासन का प्रभाव बढ़ गया।
निष्कर्ष
कश्मीर के संघर्ष और राजनीति में Maharaja hari singh को लेकर कई दृष्टिकोण हो सकते हैं लेकिन भारत-पाकिस्तान युद्ध और पाकिस्तान कश्मीर के विवाद के दौरान उनके द्वारा लिए गए निर्णय भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुए। कश्मीर को भारतीय संघ का हिस्सा बनाने में उनकी राजनीतिक दूर दृष्टि निर्णय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला युद्ध कश्मीर का भारत में विलय और शेख अब्दुल्ला के साथ उनके रिश्ते भारतीय राजनीति में आज भी महत्वपूर्ण विषय हैं। उनके द्वारा लिया गया निर्णय भले ही भविष्य में भारत और कश्मीर के विवाद को जन्म दिया हो लेकिन भारतीय संघ में कश्मीर को शामिल करने का उनका निर्णय कश्मीर को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।