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Shikshit Berojgari ( शिक्षित बेरोजगारी क्या है? )

Shikshit Berojgari का अर्थ असल में है क्या? आइये जानते है I असल में जब उच्च शैक्षणिक योग्यता वाले व्यक्ति, जैसे कि डिग्री या डिप्लोमा, अपने स्किल के आधार एवं अर्जित शिक्षा के आधार से मेल खाने वाले उपयुक्त रोजगार को पाने में असमर्थ होते हैं। यह मुद्दा एक बढ़ती हुई चिंता है क्योंकि यह न केवल व्यक्तियों को प्रभावित करता है बल्कि आर्थिक विकास और साथ में समाज के स्तर को भी I आइये बिस्तार से जानते है इसके प्रभावों को I

Shikshit Berojgari का पैमाना

shikshit berojgari

शिक्षित बेरोजगारी सभी बिकाशील देशो का आम मुद्दा है जिसके कई कारण हैं और इसके मूल कारणों और प्रभावों को गहराई से समझने के लिए इसके करक पर विचार किया जाना चाहिए।

Shikshit Berojgari की भयावहता को विभिन्न देशों के आंकड़ों और वास्तविक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से जाना जा सकता है। उदाहरण के लिए, भारत जैसे देशों में बेरोजगार स्नातकों और स्नातकोत्तरों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जो शिक्षा प्रणाली और नौकरी पाने के बीच एक महत्वपूर्ण बेमेल को दर्शाता है ।

शिक्षित बेरोजगारी के कारण

1. स्किल और नौकरी, बाजार की जरूरतों का बेमेल होना

शिक्षित बेरोजगारी के प्राथमिक कारणों में से एक शैक्षणिक संस्थानों द्वारा प्रदान किए जाने वाले स्किल और नौकरी पाने की वास्तविक जरूरतों के बीच बेमेल है।

यह विसंगति अक्सर पुराने पाठ्यक्रमों के कारण होती है जो तकनीकी प्रगति और उद्योग की आवश्यकताओं के साथ तालमेल नहीं रखते हैं। नतीज़न, स्नातक खुद को आधुनिक कार्यस्थलों के अनुरूप तैयार नहीं कर पाते हैं ।

2. आर्थिक कारक

शिक्षित बेरोजगारी को बढ़ाने में आर्थिक कारक मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। आर्थिक मंदी, मंदी और धीमी आर्थिक वृद्धि से नौकरी के अवसर कम होते जा रहा है, जिसका असर उच्च शिक्षित लोगो पर भी पड़ता है।

उदाहरण के लिए, आर्थिक मंदी के समय कंपनियाँ हमेशा कर्मचारियों की भर्ती पर पाबंद लगा देती हैं या मैनपावर की छटनी की जाती हैं, जिससे shikshit berojgari की दर बढ़ जाती है ।

3. Overqualification

Shikshit berojgari को बढ़ाने वाला एक और मुख्य कारक उच्च-योग्यता है। कई शिक्षित व्यक्ति खुद को पाने वाले नौकरियों के लिए उच्च-योग्यता पाते हैं, जिसके कारण नियोक्ता उन्हें काम पर न रखने की मन बनाते हैं।

नियोक्ता यह भलीभांति जानते है कि उच्च-योग्यता उम्मीदवार जब भी बेहतर अवसर मिलेगा नौकरी छोड़ देंगे, जिसके परिणामस्वरूप उच्च टर्नओवर दरें होती हैं ।

4. अनुभव की कमी

वर्तमान समय में शैक्षणिक योग्यताओ के साथ व्यावहारिक अनुभव की भी आवश्यकता होती है। हाल ही में स्नातक हुए लोगों में अक्सर इस अनुभव की कमी के कारण, उन्हें रोजगार मिलना मुश्किल हो जाता है।

इससे एक विरोधाभास पैदा होता है जहां उन्हें अनुभव प्राप्त करने के लिए नौकरी चाहिए होती है लेकिन नौकरी पाने के लिए अनुभव की आवश्यकता होती है ।

5. तकनीकी परिवर्तन

तेजी से कोई भी तकनीकी स्किल सीखा नहीं जा सकता है, इसके लिए निरंतर सीखने और अनुकूलन की आवश्यकता होती है। हालांकि, सभी व्यक्तियों के पास अपने स्किल को उन्नत करने के लिए संसाधन या अवसर प्राप्त नहीं होते हैं, जिससे shikshit berojgari बढ़ती जाती है।

उदाहरण के लिए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालन मशीन ने कई उद्योगों को बदल दिया है, जिसके लिए नए स्किल सेट की आवश्यकता होती है जो नए शिक्षित ब्यक्ति के पास नहीं हो सकते हैं ।

6. जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि भी एक और कारक है, भले ही सीमित संख्या में हो फिर भी नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ा देती है। जैसे-जैसे अधिक व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करते जाते हैं, नौकरी संख्या कम पड़ जाता है, जिससे सभी के लिए उपयुक्त रोजगार पाना कठिन हो जाता है।

7. भौगोलिक Mismatch

नौकरी के अवसर किसी देश में हमेशा समान रूप से वितरित नहीं होते हैं। कुछ क्षेत्रों में उद्योगों और नौकरी के अवसर उच्च हो सकती है, जबकि अन्य में ऐसे अवसर बहुत कमी।

इस भौगोलिक बेमेल के परिणामस्वरूप शिक्षित व्यक्ति अपने आसपास के क्षेत्रों में नौकरी पाने में असमर्थ होती हैं, जिससे देश के बाहर पलायन और संबंधित चुनौतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं ।

शिक्षित बेरोजगारी के प्रभाव

1. आर्थिक प्रभाव

Shikshit Berojgari के महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हैं। जब शिक्षित ब्यक्ति का एक बड़ा कस्बा बेरोजगार रहता है, तो इससे उस देश को मूल्यवान मानव संसाधन और संभावित आर्थिक योगदान की बर्बादी होती है।

इसके अतिरिक्त, सरकार को बेरोजगारी भत्ते और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च बढ़ता है, जिससे सरकार के ऊपर वित्तीय बोझ बढ़ता है ।

2. सामाजिक परिणाम

Shikshit berojgari के सामाज पर बहुत गंभीर प्रभाव डालता हैं। शिक्षित व्यक्तियों में बेरोज़गारी से निराशा, आत्म-सम्मान में कमी और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं।

यह सामाजिक अशांति, अपराध और अस्थिरता को भी आमंत्रण देता है क्योंकि व्यक्ति अपनी बुनियादी ज़रूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कुछ भी करते हैं ।

2. प्रतिभा पलायन

वर्तमान समय में shikshit berojgari के कारण प्रतिभा पलायन हो रहा है, जहां उच्च शिक्षित व्यक्ति बेहतर अवसरों की तलाश में दूसरे देशों में पलायन कर रहे हैं।

इसके परिणामस्वरुप स्वदेश में प्रतिभा और विशेषज्ञता का कमी दिखती है, जिससे इसके आर्थिक और सामाजिक विकास में बाधा भी उत्पन्न होती है ।

4. Underemployment

शिक्षित व्यक्ति उपयुक्त अवसरों की कमी के कारण बिवश होकर अपनी योग्यता और स्किल स्तर से नीचे की नौकरी स्वीकार करते हैं। यह रोजगार नौकरी से असंतुष्टि, उत्पादकता में कमी और क्षमता की बर्बादी का कारण बन जाता है।

5. अंतर-पीढ़ीगत मुद्दे

Shikshit berojgari का असर भविष्य की पीढ़िया भी भुगतता है। बेरोजगार शिक्षित व्यक्तियों के बच्चों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी शिक्षा की गुणवत्ता और अवसरों तक पहुँच प्रभावित होती है I इससे गरीबी और बेरोजगारी का चक्र चलता रहता है।

Solutions to Educated Unemployment

Shikshit berojgari से निजात पाने के लिए एक व्यापक और विशिष्ट समझ की आवश्यकता है। इस समस्या को कम करने और अधिक संख्या में नौकरी उपलब्ध करने के लिए कई रणनीतियों को लागू करने की जरुरत होती है।

1.शिक्षा प्रणाली में सुधार

शिक्षा और रोजगार के बीच बेमेल की संतुलन के लिए शिक्षा नीति में सुधार करना आवश्यक है। शैक्षणिक संस्थानों की पाठ को अपडेट करने और व्यावहारिक स्किल एवं प्रशिक्षण को शामिल करने के लिए उद्योगों का सहयोग लेना जरुरी है।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित शिक्षा और साथ में व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने से छात्रों को नौकरी में आवश्यक ज़रूरी स्किल मिल जाते हैं।

2. उद्यमशीलता को बढ़ावा देना

उद्यमिता को बढ़ावा देने से नए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं और पारंपरिक रोजगार पर निर्भरता कम हो सकती है।

सरकार और संस्थाएँ महत्वाकांक्षी उद्यमियों को वित्त पोषण, मार्गदर्शन और प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करके सहायता कर सकती हैं। उद्यमिता आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है, जिससे रोजगार सृजन का प्रभाव बढ़ सकता है ।

3. कैरियर परामर्श और मार्गदर्शन को बढ़ाना

प्रभावी करियर परामर्श और मार्गदर्शन छात्रों को उनकी शिक्षा और करियर पथ का चुनाव करने में मदद कर सकता है।

नौकरी की उपलब्धता के रुझान और अवसरों को समझकर, छात्र अध्ययन के ऐसे क्षेत्र चुनते हैं जो उनकी रुचियों के अनुरूप हों और जिनमें रोजगार की बेहतर संभावनाएँ हों।

4. Skill विकास कार्यक्रम

स्किल विकास कार्यक्रम और निरंतर सीखने की चाहत को लागू करने से व्यक्तियों को अपने स्किल को उन्नत करने और वर्तमान नौकरी में प्रासंगिक बने रहने में मदद मिल सकती है।

सरकार, उद्योग और शैक्षणिक संस्थान उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएँ और प्रमाणन प्रदान करने के लिए हमेशा तत्पर रहे हैं।

5. सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना

Shikshit berojgari को दूर करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सरकार और निजी क्षेत्र की कंपनियाँ नौकरी के अवसर, इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम बनाने के लिए सहयोग करना चाहिए।

ये भागीदारी कार्यबल विकास को बढ़ाने के लिए ज्ञान और संसाधनों के आदान-प्रदान को भी सुविधाजनक बनाती हैं ।

6. रोजगार सृजन नीतियां

सरकार को ऐसी नीतियां लागू करनी चाहिए जो रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा दें।

इसमें व्यवसायों को बढ़ाने और अधिक shikshit berojgar को नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश और छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के लिए समर्थन शामिल करना हैं। ऐसी नीतियां विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा दे सकती हैं ।

7. भौगोलिक विसंगतियों को संबोधित करना

नौकरी के अवसरों में भौगोलिक विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रयास करने चाहिए। इसमें क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना, व्यवसायों को कम विकसित क्षेत्रों में परिचालन स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना और बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी में सुधार करना शामिल हो सकता है।

इसके अतिरिक्त, दूरस्थ कार्य के अवसरों का विस्तार किया जा सकता है ताकि व्यक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों में स्थित कंपनियों के लिए काम करने की अनुमति मिल सके ।

8. अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना

अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में निवेश करने से नए उद्योग और रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। सरकार और संस्थाएँ अनुसंधान और विकास पहलों के लिए धन और सहायता प्रदान करनी चाहिए , जिससे तकनीकी उन्नति को बढ़ावा मिलता है।

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शिक्षित बेरोजगारी भत्ता

Shikshit Berojgari भत्ता” भारत के कुछ क्षेत्रों में शिक्षित बेरोजगार व्यक्तियों को दिया जाने वाला बेरोजगारी भत्ता है।

यह शब्द मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे हिंदी भाषी राज्यों में उपयोग किया जाता है। इस भत्ते का उद्देश्य शिक्षित युवाओं को सहायता प्रदान करना है जो योग्यता होने के बावजूद रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ हैं।

विभिन्न राज्यों में पात्रता के लिए अलग-अलग शर्त होते हैं, जिनमें आयु सीमा, शैक्षिक योग्यता और पारिवारिक आय शामिल होती है। इस योजना का उद्देश्य अस्थायी वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जबकि व्यक्ति नौकरी की तलाश जारी रखते हैं।

Shikshit Berojgari Loan

Shikshit Berojgari ऋण” भारत में शिक्षित बेरोजगार व्यक्तियों को प्राप्त एक ऋण योजना को इंगित करता है। ये ऋण शिक्षित बेरोजगार युवाओं को अपना खुद का व्यवसाय या उद्यमशीलता उद्यम शुरू करने में मदद करने के लिए सरकार के द्वारा दिया जाता हैं।

ऋण देने का मुख्य कारण उन लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है जिनके पास योग्यता तो है लेकिन रोजगार के अवसरों की कमी है।

इस प्रकार का ऋण आम तौर पर कुछ अनुकूल शर्तों के साथ दिया जाता है, जैसे कि कम ब्याज दरें, लंबी चुकौती अवधि, और कभी-कभी उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और बेरोजगारी को कम करने के भावना से भी सब्सिडी या सरकारी समर्थन रूप में भी।

विभिन्न राज्यों या वित्तीय संस्थानों में पात्रता के लिए विशेष शर्त अनुसार, जैसे कि शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा या व्यवहार्य व्यवसाय योजना।

FAQ ( शिक्षित बेरोजगारी )

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) और भारत सरकार की श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट के आधार पर भारत में शिक्षित बेरोजगारों की आंकड़ा लगभग 2.5 करोड़ के आसपास है। यह आंकड़ा बदलता रहता है, लेकिन यह भारत देश के लिए एक गंभीर समस्या है।
शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं: 1. प्रतिस्पर्धा: अधिक डिग्री धारकों के तुलना में कम नौकरि होना फलस्वरूप प्रतिस्पर्धा ज्यादा। 2. कौशल का अभाव: नये शिक्षित युवा में अक्सर आवश्यक व्यावहारिक कौशल नहीं होता हैं। 3. बाजार की आवश्यकताएं: उद्योगीकारण तेजी से बदलती हैं, जबकि शिक्षा प्रणाली में बदलाव तेज़ी से नहीं होता। 4. नौकरी के अवसर: उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद, नौकरी के अवसर सीमित हैं। इन कारणों से शिक्षित युवा बेरोजगारी बैठे हैं।
औद्योगिक बेरोजगारी में श्रमिकों को उनके कौशल और अनुभव के बावजूद उद्योग में काम नहीं मिलती। इसके कारण हैं: 1. उद्योगों का बंद होना: आर्थिक संकट या तकनीकी बदलाव की स्थिति में। 2. स्वचालन: मानव श्रम की जगह मशीनों और तकनीक के बढ़ते उपयोग के कारण। 3. बाजार की कमी: उत्पादों या सेवाओं की मांग में कमी। इस प्रकार की बेरोजगारी उद्योग विशेष पर निर्भर करती है।

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