happy navratri 2024

हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा एवं मुख्य नवरात्रि पर्व है, जिसे पूरे भारतवर्ष में बड़े ही हर्षोउल्लासः एवं श्रद्धा से मनाया जाता है। नवरात्रि के पर्व माता  दुर्गा कि 9 स्वरूपों को  9 दिनों तक पूरे विधि  विधान से पूजा उपवास करके मनाया जाता है I इस लेख में हम Navratri 2024 का महत्व, नौ दिनों की देवी पूजा विधि, पौराणिक परंपराएं, रीती रिवाज और इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को जानेंगे।

Navratri 2024 Kab Se Shuru Hai

Navratri  kab  hai आइये जानते है I  आश्विन माह के शुक्ल पक्ष तिथि को नवरात्रि का पहला कलश स्थापना के साथ इस पर्व का शुरुआत होता है. यह शरद समय में होता है, इसलिए शारदीय नवरात्रि कहते हैं I

Navratri 2024 date अंग्रेजी में गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 को इस पर्व की शुरुआत है और इसका समापन 12 अक्टूबर 2024 को होगा I

इस Navratri में आदि शक्ति की पूजा आराधना बड़े धूमधाम से की जाती है I नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ रात्रि I

जिसमें नौ दिनों तक आदि माता शक्ति की नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है I  यह पूजा Durga Puja के नाम से ज्यादा प्रचलित है I

आइये जानते है नौ दिनों तक माता की कौन – कौन रूपों की  पूजा की जाती है I

1st Day of Navratri

Navratri 1st Day शैलपुत्री की पूजा होती है यह माँ दुर्गा की पहला रूप है। पहाड़ों की बेटी जिसे हिमालय की पुत्री संक्षेप में शैलपुत्री कहते है ।

देवी शैलपुत्री को प्रथम दिन में पुजे जाने की प्रथा पूर्व से ही चली आ रही है इसीलिए शैलपुत्री पहले रूप में प्रतिष्ठित हैं।

देवी इस रूप में दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल धारण किए रहती हैं। इसमें देवी का वाहन वृषभ (बैल) है I

प्रथम दिन की पूजा विधि :-

प्रथम पूजा में सुबह उठकर पूजा स्थल की साफ सफाई कर लिया जाता है I इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करते है I

कलश स्थापना – नवरात्रि के पहला दिन कलश की स्थापना करते है I इसमें एक मिट्टी के बर्तन में थोड़ी मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज डालते है। इसके ऊपर फिर से मिट्टी डालते है।

अब दूसरे तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर दूर्वा घास, सुपारी, सिक्का, और अक्षत डाल लेते है। इस कलश के ऊपर एक नारियल रखकर लाल कपड़े से लपेटकर मौली से बांध देते है।

इस कलश को मां दुर्गा के प्रतिमा या तस्वीर के सामने पूजा स्थल पर स्थापित करते है। अब दीपक, धूप-दीप जलाकर पूजा आरंभ करते है।

मां शैलपुत्री का पूजन – पहले सिंदूर, हल्दी, चंदन, अक्षत (चावल), और फूल अर्पित करते है। मिठाई, फल, और गाय के दूध से बने पकवान का भोग लगाते है।

कहा जाता है की देवी शैलपुत्री को घी का भोग बहुत पसंद है इससे घर में आरोग्य और समृद्धि का वास मिलता है।

मंत्र जाप और Aarti for Navratri – इस पूजा में “ॐ शैलपुत्र्यै नमः” का मंत्र जप करते है I दुर्गा सप्तशती की पाठ पढ़ते है, आरती करते है इस दौरान शंख एवं घंटी बजाते है I पूजा के शेष में घी का दीपक जलाकर माता की आराधना करते है। इस पूजा को पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक की जाती है I

2nd Day of Navratri

Navratri day 2 में मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का दूसरा रूप है। तप, त्याग और साधना की देवी को ही मां ब्रह्मचारिणी कहते है।

इस रूप में माँ अपने हाथों में माला और कमंडल धारण किए रहती हैं। ब्रह्मचारिणी का अर्थ जो तपस्या और ध्यान में लीन रहती हैं।

द्वितीय दिन की पूजा विधि :-

सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन लेते है I पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करते है।

इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करते है। माँ को सफेद वस्त्र अर्पित करके दीपक, धूप-दीप जलाते है।

मां ब्रह्मचारिणी का पूजन – पूजा के आरंभ में अक्षत, चंदन, सफेद फूल, कुमकुम  और रौली अर्पित करते है। इस दिन भोग के रूप में चीनी, मिश्री, या पंजीरी मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित करते है। ब्रह्मचारिणी माँ को मिश्री बहुत प्रिय है I

मंत्र जाप और आरती – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में मंत्र जाप “ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः” किया जाता है। दुर्गा सप्तशती का पाठ, देवी की आरती करते है। आरती के बाद घी का दीपक जलाकर माँ की आराधना करते है I

3rd Day of Navratri

चंद्रघंटा देवी की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। मां चंद्रघंटा का रूप अत्यंत सौम्य और दिव्य है I माँ के मस्तक पर अर्धचंद्र आकार, इनके दस हाथ हैं, दसो हाथ पर शस्त्र होती हैं I माँ के वाहन सिंह है।

तृतीय दिन की पूजा विधि :-

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते है। इस दिन लाल वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।

मां चंद्रघंटा का पूजन –  पहले कलश की पूजा करते है I इसमें में थोड़ी सी जल, पुष्प, अक्षत, सुपारी, और पान के पत्ते अर्पित करते है।

मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र पूजा स्थल पर स्थापित करते है I मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान उनके चरणों में कुमकुम, अक्षत, सिंदूर, चंदन, और फूल अर्पित किया जाता है।

भोग के रूप में दूध से बनी मिठाई, खीर या दूध से बने पकवान लगाते है।

मंत्र जाप और आरती – इस पूजा में “ॐ चन्द्रघण्टायै नमः” का जाप करते है। देवी महात्म्य का पाठ करके आरती करते है। घी का दीपक पुरे दिन जलाया जाता है।

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा विधिपूर्वक करने से जीवन में सकारात्मकता, शांति, और समृद्धि मिलती है।

4th Day of Navratri

कूष्माण्डा देवी की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। मां कूष्माण्डा को “आदिशक्ति” के नाम से भी जाना जाता है I कहावत है जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार था, तब देवी कूष्माण्डा ने इस ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए “ब्रह्मांड की रचयिता” मां कूष्माण्डा को कहा जाता है।

चतुर्थ दिन की पूजा विधि :-

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते है। इस दिन लाल, नारंगी, या हरे रंग के वस्त्र को पहनते है I

पहले कलश की पूजा करते है साथ में जल, अक्षत, फूल, सुपारी, और दूर्वा घास अर्पित करते है।

मां कूष्माण्डा का पूजन – पूजा स्थल पर मां कूष्माण्डा की मूर्ति या चित्र को स्थापित करते है। मां को अक्षत, चंदन, हल्दी, सिंदूर, कुमकुम, धूप, और फूल अर्पित किया जाता है।

माला, वेलपत्र, और सफेद पुष्प को अर्पित करते है I प्रसाद के रूप में मलपुआ या हलवे को अर्पित करते।

मंत्र जाप और आरती – इस पूजा में इस मंत्र “ॐ कूष्माण्डायै नमः” का जाप किया जाता है। घी का दीपक पूरे दिन जलाकर मां की आराधना करते है।

इस रूप में मां कूष्माण्डा के आठ हाथ हैं, आठों हाथो में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा, और जाप माला धारण करती हैं। इस रूप में इनके वाहन सिंह हैं।

5th Day of Navratri

स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है। भगवान स्कंद (कार्तिकेय) इनकी गोद में विराजमान हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहते है। वे सिंह पर बैठे रहती हैं I माँ के चार हाथ होते हैं, जिनमें वे भगवान स्कंद को अपनी गोद में लिए रहती हैं।

पंचम दिन की पूजा विधि :-

स्नान करके सफेद एवं पिले रंग का वस्त्र धारण करते है। पहले कलश की पूजा करके उसमें जल, अक्षत, सुपारी, और दूर्वा घास अर्पित करते है।

मां स्कंदमाता का पूजन – पूजन में मां को अक्षत, चंदन, कुमकुम, हल्दी, और सिंदूर अर्पित करते है। इस पूजा में सफेद फूल, जैसे चमेली या गुलाब, मां को अर्पित करते हैं।

इस पूजा में मां को केले या केले से बनी मिठाई का भोग लगाते है।

मंत्र जाप और आरती – मां स्कंदमाता की पूजा में “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का जाप करते है। घी का दीपक जलाकर मां की आराधना करते है।

6th Day of Navratri

Navratri 6 day में नवरात्रि के छठे दिन कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है। यह माँ दुर्गा का छठा रूप माना जाता है I यह नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए पूजनीय हैं। इस रूप में माँ का चार हाथो में तलवार, कमल का फूल, और अभय मुद्रा धारण किए रहती हैं।

षष्ठम दिन की पूजा विधि :-

स्नान कर और गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र पहनते है I कलश की पूजा करके जल, अक्षत, सुपारी, और दूर्वा घास अर्पित करते है।

मां कात्यायनी का पूजन – पहले मां को अक्षत, चंदन, कुमकुम, हल्दी, और सिंदूर अर्पित करते है।

इस दिन माँ को लाल फूल, विशेष रूप से गुड़हल के फूल से पूजा की जाती है I प्रसाद के रूप में माँ को शहद, गुड़, या नारियल का भोग लगाते है I

मंत्र जाप और आरती – इस दिन पूजा में इस मंत्र “ॐ कात्यायन्यै नमः” का जाप करते है। दुर्गा सप्तशती का पाठ के साथ मां की आरती करते है। आरती के समय शंख और घंटी बजाते रहते है। घी का दीपक को भी पूरे दिन जलाते है।

7th Day of Navratri

नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है। इस रूप में मां अत्यंत उग्र और भयानक होते है I मां कालरात्रि नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत, और दुष्ट आत्माओं का नाश करती हैं।

सप्तम दिन की पूजा विधि :-

स्नान कर इस दिन नीले, लाल, या सफेद रंग के वस्त्र पहनते है I पहले कलश की पूजा करके उसमें जल, अक्षत, पुष्प, सुपारी, और दूर्वा अर्पित करते है।

मां कालरात्रि का पूजन – इस पूजन में मां को पहले अक्षत, चंदन, कुमकुम, हल्दी, और सिंदूर अर्पित करते है। गुड़हल के फूल से इस पूजा को किया जाता है I भोग  में गुड़, तिल, या जौ को चढ़ाया जाता है I

मंत्र जाप और आरती – इस पूजा के दौरान “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः” का जाप करते है। दुर्गा सप्तशती का पाठ, आरती करते है। आरती के दौरान शंख और घंटी बजाते है I

पूरे दिन घी का दीपक जलाकर मां की आराधना करते है।

8th Day of Navratri

Navratri 8 day में माँ के आठवें रूप महागौरी पूजा की जाती है। देवी का यह स्वरूप अत्यंत श्वेत और उज्ज्वल है I मां महागौरी की चार भुजाएं, जिसमें वे त्रिशूल, डमरू, वरमुद्रा, और अभयमुद्रा धारण किए रहती हैं। इसमें इनका वाहन वृषभ (बैल) है I

अष्टम दिन की पूजा विधि :-

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र जैसे सफ़ेद या गुलाबी धारण करते है। पहले कलश की पूजा किया जाता है I

मां महागौरी का पूजन – पूजा में मां को अक्षत, चंदन, कुमकुम, हल्दी, और सिंदूर अर्पित करते है। मां महागौरी को सफेद फूल, जैसे चमेली या मोगरा से पूजा की जाती है I

मां को नारियल, सफेद मिठाई, या खीर का भोग के रूप में चढ़ाये जाते है।

मंत्र जाप और आरती – पूजा में इस मंत्र का “ॐ देवी महागौर्यै नमः” का जाप करते है। दुर्गा सप्तशती का पाठ एवं मां की आरती करते है। आरती के समय शंख और घंटी बजाते है I

घी का दीपक को पूरे दिन जलाकर मां की आराधना करते है।

9th Day of Navratri

नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन में सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों की कामना पूर्ण करती हैं।

अष्ट सिद्धियां (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व) अपने भक्त को प्रदान करती हैं, इसी कारण उन्हें “सिद्धिदात्री” कहा जाता हैं। इस रूप में माँ कमल के फूल पर विराजमान रहती हैं और इसमें उनका वाहन सिंह है।

नवम दिन की पूजा विधि :-

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते है। पहले कलश की पूजा करके जल, अक्षत, सुपारी, और दूर्वा अर्पित करते है।

मां सिद्धिदात्री का पूजन – पूजा स्थल पर मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करके मां को अक्षत, चंदन, कुमकुम, हल्दी, और सिंदूर अर्पित करते है I

लाल और सफेद रंग के फूल माँ को अर्पित करते है। भोग के रूप में मां को सफेद मिठाई, नारियल, और फल अर्पित किया जाता है।

मंत्र जाप और आरती – मंत्र में इस दिन “ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः” का जाप करते है। दुर्गा सप्तशती का पाठ और मां की आरती करते है। आरती में शंख और घंटी बजाया जाता है I

घी का दीपक जलाकर मां की आराधना करते है।

नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक परंपराएं एवं रीती रिवाज

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Navratri भारत की सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा और आराधना की जाती है।

नवरात्रि में नौ दिनों की अवधि में मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। देश में इस पर्व को जगह – जगह पर अलग-अलग परंपराओं और रिवाजों के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं नवरात्रि से जुड़ी प्रमुख परंपराओं और रिवाजों क्या है :

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