दुर्गा पूजा कब है 2025 में? जानें इस साल की तारीख और आयोजन की जानकारी
दुर्गा पूजा (Durga Puja), जिसे दुर्गोत्सव भी कहा जाता है, भारत के सबसे बड़ा त्योहारों में से एक है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसे पूरे भारत देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, खासकर पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, बिहार में। दुर्गा पूजा कब है 2025 में, लोग बड़ी बेसब्री से इसकी तारीखों का इंतजार करते हैं। इस त्योहार को हिंदू चंद्र पंचांग के अनुसार मनाया जाता है, इसलिए इसकी तिथियां प्रत्येक वर्ष बदलती रहती हैं। यह सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि हमारे संस्कृति, कला और सामुदायिक मिलन का एक भव्य उत्सव है, जो लोगों को एक साथ लाता है और खुशियाँ बिखेरता है।
दुर्गा पूजा कब है 2025 में ( When is Durga Puja in 2025 )

दुर्गा पूजा 2025 साल का उत्सव सितंबर और अक्टूबर के महीने में मनाया जाएगा। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आता है, इसलिए इसकी तारीखें हर साल बदल जाती हैं। Durga puja 2025 की शुभारम्भ महा षष्ठी से होगी और विजयादशमी तक चलेगी। मुख्य पूजा 29 सितंबर (महा सप्तमी) से शुरू होगा और 1 अक्टूबर (महा नवमी) तक चलेगा। इस दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी। 30 सितंबर को महा अष्टमी पूजा होगी, जो Durga puja का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
दुर्गा पूजा 2025 त्योहार का समापन 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) मानाने के साथ होगा, इसी दिन मां दुर्गा की कलश और मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे पूरे भारत में बड़ी धूमधाम और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का इतिहास और महत्व
दुर्गा पूजा इतिहास की जानकारी पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक परंपराओं से मिलती है। यह उत्सव माँ देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर नामक राक्षस पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर को वरदान मिला था कि कोई भी देवता या पुरुष उसे मार नहीं सकता। उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर, सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर देवी दुर्गा का सृजन किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक भयंकर युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। इसी विजय के उपलक्ष्य पर पूरा देश “विजयादशमी” के रूप में मानते है और यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा प्रतीक है।
इतिहास के वर्णन अनुसार, दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन बंगाल के जमींदारों द्वारा शुरू किया गया था, जिसे “बोनदी बारी पूजा” (पारिवारिक पूजा) कहा जाता था। समय के साथ, यह पूजा घरों से निकलकर सामुदायिक पंडालों तक पहुँच गई, जिसे “सर्बोजनीन पूजा” (सार्वजनिक पूजा) कहा जाने लगा। इसने त्योहार को एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव का रूप दिया, जहाँ लोग जाति और धर्म के बंधन से ऊपर उठकर एक साथ आते हैं।
दुर्गा पूजा का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। यह त्योहार सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है। लोग एक महीने पहले से नए नए कपड़े खरीदते है पूजा में पहनने के लिए। बड़े बड़े दुर्गा पूजा पंडाल (Durga puja pandal) का निर्माण होते है जहा मेला लगता है हज़ारो लोग घूमते हैं और मेले में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं। मूर्तिकार महीनों पहले से देवी की सुंदर प्रतिमाएँ बनाना शुरू कर देते हैं, जिसमे कला का अद्भुत प्रतियोगिता प्रदर्शन देखने को मिलते है।
दुर्गा पूजा 2025: तिथियां और पंचांग
दुर्गा पूजा 2025 पर्व को सितंबर के अंत और अक्टूबर की शुरुआत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्योहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है, इसी समय देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं।
दुर्गा पूजा 2025 में महालया कब है? ( When is Durga Puja 2025 Mahalaya )
दुर्गा पूजा 2025 में, महालया (Mahalaya) 21 सितंबर को मनाया जाएगा। यह दिन दुर्गा पूजा उत्सव की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है। महालया अमावस्या (Mahalaya amavasya) के दिन पड़ता है और इसे पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है। इस दिन, लोग अपने पूर्वजों को “तर्पण” के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो गंगा नदी के घाटों पर किया जाता है।
महालया दिन का आध्यात्मिक महत्व देवी दुर्गा के आगमन से जुड़ा होता है। कहा जाता है कि इसी दिन देवी दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर अपनी यात्रा शुरू करती हैं। यह दिन न केवल पूर्वजों को याद करने का है, बल्कि माता देवी के स्वागत की तैयारी और दुर्गा पूजा के भव्य उत्सव की शुरुआत का दिन है।
दुर्गा पूजा महा षष्टी कब है
दुर्गा पूजा 2025 का महा षष्ठी 28 सितंबर के दिन दुर्गा पूजा उत्सव का वास्तविक आरंभ होगा। इस दिन पंडालों में देवी दुर्गा की खूबसूरत प्रतिमाओं का अनावरण किया जायेगा, जिसे “कल्पारंभ” कहते हैं। शाम के समय, “बोधन” नामक अनुष्ठान के साथ देवी का आह्वान भी किया जायेगा, जिसमें उनके मुख से आवरण हटाया जाता है। इसके बाद “अधिवास” और “आमंत्रण” की रस्में होगी, जिसमें देवी को औपचारिक रूप से पूजा ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस दिन से पंडालों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगती है और उत्सव का माहौल जीवंत हो उठता है।
दुर्गा पूजा का सप्तमी पूजा कब है ( Saptami Durga Puja 2025 )
दुर्गा पूजा 2025 का सप्तमी पूजा 29 सितंबर के सुबह में सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान “नवपत्रिका” या “कोला बौ” की स्थापना होगी। इसमें केले के पौधे को नौ अलग-अलग पत्तियों के साथ बांधकर साड़ी पहनाई जाती है जिसे देवी के बगल में स्थापित किया जाता है। यह नौ पत्तियां देवी दुर्गा के नौ स्वरूप हैं। इसे गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी या तालाब में स्नान कराने के बाद पंडाल में लाया जाता है। इस दिन से मुख्य पूजा और पुष्पांजलि शुरू हो जाती है।
दुर्गा पूजा 2025 में महा अष्टमी पूजा कब है (Durga Puja Mahaashtami 2025)
महा अष्टमी (Mahaashtami) को दुर्गा पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन कई घरों और पंडालों में “कुमारी पूजा” होता है, जिसमें छोटी बच्चियों को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। अष्टमी का सबसे खास क्षण “संधि पूजा” होता है। दुर्गा पूजा 2025 में संधि पूजा (Sandhi puja) अष्टमी तिथि के समाप्त होने और नवमी तिथि के आरंभ होने के बीच के 48 मिनट के दौरान होगी। माना जाता है कि इसी समय देवी दुर्गा ने चंड और मुंड नामक राक्षसों का वध किया था। इस पूजा में 108 दीपक जलाए जाते है और कमल के फूल अर्पण किये जाते हैं और यह समय अत्यंत शक्तिशाली और शुभ मानी जाती है।
दुर्गा पूजा 2025 में महा नवमी कब है
महा नवमी (Maha navami) दुर्गा पूजा का अंतिम दिन होता है। दुर्गा पूजा 2025 में महा नवमी पूजा 1 अक्टूबर के दिन देवी की पूजा महानवमी भोग और एक विशेष हवन के साथ संपन्न होगी। हवन अनुष्ठान देवी को धन्यवाद देने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस दिन भक्त पंडालों में भक्त की भक्ति और थोड़ी उदासी का मिश्रण होता है, क्योंकि यह देवी की विदाई का संकेत देता है।
2025 में दुर्गा पूजा का विजयदशमी पर्व कब है
दुर्गा पूजा 2025 का विजयदशमी पर्व, जिसे दशहरा भी कहते है, गुरुवार, 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दशमी तिथि 1 अक्टूबर को दोपहर 3:16 बजे शुरू होकर 2 अक्टूबर को शाम 4:26 बजे समाप्त होगी। इसे पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा 2025 के प्रमुख अनुष्ठान और रीति-रिवाज
दुर्गा पूजा 2025 में 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। दुर्गा पूजा के दौरान प्रति दिन कई प्रमुख अनुष्ठान और रीति-रिवाज होंगे:
- कलश स्थापना (महालय): कलश स्थापना महालय के दिन किया जाता है जिसमे पहले दिन माँ दुर्गा का आह्वान किया जाता है।
- नवरात्रि पूजा: नौ दिनों तक लगातार माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। भक्त उपवास में रहते हैं और भजन-कीर्तन भी करते हैं।
- संधि पूजा: अष्टमी और नवमी के बीच की संधि बेला में विशेष पूजा संधि पूजा होती है, जो अत्यंत शुभ मानी जाती है।
- कंजक पूजन: नवमी के दिन कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजन और भोजन कराया जायेगा।
- विसर्जन: विजयदशमी के दिन कलश और माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन बड़े धूम धाम से किया जायेगा, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दुर्गा पूजा (Durga Puja) कैसे मनाई जाती है?
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दुर्गा पूजा को अलग-अलग क्षेत्रीय परंपराओं और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा 2025 में होने वाले आयोजन
- पश्चिम बंगाल में खासकर kolkata durga puja pandal दुर्गा पूजा के पंडाल बड़े आकर्षक होते हैं। ये पंडाल न केवल पूजा स्थलों के रूप में बल्कि कला, संस्कृति और रचनात्मकता का अद्भुत प्रदर्शन भी होते हैं।
- प्रत्येक साल पंडालों को अलग-अलग थीम पर सजाया जाता है, जैसे ऐतिहासिक स्थल, सामाजिक संदेश, पारंपरिक बंगाली संस्कृति, या आधुनिक कला।
- पंडालों को बांस, कपड़े, थर्मोकोल, और अन्य सामग्रियों से सजाया जाता है। कही कही पंडालों में सोने और चांदी का भी उपयोग होता है।
- सभी जगह माँ दुर्गा की मूर्तियाँ अत्यंत सुंदर और भव्य होती हैं। इन्हें बनाने में महीनों का समय लगता है, और मूर्तियों में पारंपरिक बंगाली कला झलकती है।
- पंडालों में नृत्य, संगीत, और नाटक जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो उत्सव को और खास बनाते हैं।
- लोकप्रिय पंडाल कोलकाता के कुम्हारटोली, बागबाजार, और एकदालिया एवरग्रीन जैसे पंडाल विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ पर पूजा देखने के लिए देश विदेश से लोग आते है।
उत्तर भारत में दुर्गा पूजा में 2025 में होने वाले आयोजन
- नवरात्रि के दौरान रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें भगवान राम की कथा को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह आयोजन छोटे गाँवों से लेकर बड़े शहरों तक होता है।
- विजयदशमी (Vijayadashmi) के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व को दर्शाता है। दिल्ली के रामलीला मैदान और वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर यह बड़े भव्य रूप से होता है।
- कई गांव और कस्बे पर दुर्गा पूजा के लिए पंडाल बनाए जाते हैं, जहाँ माँ दुर्गा की मूर्तियों की स्थापना और पूजा होती है।
- नवरात्रि के दौरान लोग उपवास रहते हैं और नवमी के दिन कन्या पूजन का आयोजन होता हैं, जिसमें कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाता है।
दक्षिण भारत में दुर्गा पूजा में 2025 में होने वाले आयोजन
- तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में ‘गोलू’ की अनोखी परंपरा होती है। इसमें देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं और सामाजिक जीवन से जुड़ी मूर्तियों को सीढ़ीनुमा मंच पर रखकर सजाया जाता है। प्रत्येक दिन इन मूर्तियों की पूजा की जाती है।
- नवरात्रि के अंतिम तीन दिन देवी सरस्वती की पूजन होती है। विद्यार्थी और कलाकार अपने उपकरणों और पुस्तकों यहाँ रखकर पूजा करते हैं।
- मंदिरों और घरों में भजन, कीर्तन और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम चलते रहते हैं।
- घरों और मंदिरों को रंगोली के साथ दीपों को जलाया जाता है, जो उत्सव को और पवित्र बनाते हैं।
गुजरात में दुर्गा पूजा 2025 में होने वाले आयोजन
- नवरात्रि के नौ दिनों तक लगातार लोग पारंपरिक पोशाक पहनकर गरबा और डांडिया नृत्य करते हैं। गरबा माँ दुर्गा की आराधना का प्रतीक है, जबकि डांडिया नृत्य रासलीला का प्रतीक है।
- माँ दुर्गा को अम्बा के रूप में पूजा जाता है। मंदिरों में विशेष आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
- महिलाएँ पारंपरिक चनिया-चोली और पुरुष केडिया परिधान पहनते हैं। ये परिधान रंगीन और कढ़ाई से सजे होते हैं।
- नवरात्रि के दौरान लोग उपवास में रहते हैं और सात्विक भोजन करते हैं।
पूर्वोत्तर भारत में दुर्गा पूजा 2025 में होने वाले आयोजन
- असम में दुर्गा पूजा बड़े धूम धाम के साथ मनाई जाती है। यहाँ के पंडालों को भी भव्य रूप से सजाया जाता है, और माँ दुर्गा की मूर्तियों की पूजा की जाती है। यहाँ बिहू नृत्य और पारंपरिक संगीत उत्सव का भी आयोजन होता हैं।
- त्रिपुरा में दुर्गा पूजा बंगाली परंपराओं के अनुसार की जाती है। पंडालों में माँ दुर्गा की मूर्तियों की स्थापना होती है, और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
- यहाँ दुर्गा पूजा के साथ स्थानीय देवी-देवताओं की भी पूजा होती है। मेघालय में शिलॉन्ग के पंडाल की सजावट विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
- अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड राज्यों में दुर्गा पूजा मुख्य रूप से वह रहने वाले बंगाली और असमिया समुदायों द्वारा मनाई जाती है।
Conlusion
दुर्गा पूजा भारतीय हिन्दू संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह त्योहार हमें समाज में हर साल उत्सव मनाने का मौका देता है सामूहिक खुशियों के साथ। दुर्गा पूजा 2025 (Durga puja 2025) का आयोजन 26 सितंबर से 30 सितंबर तक होगा, और यह पर्व पूरे भारत में खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। माँ दुर्गा की पूजा हमें शक्ति, साहस, और बुराई पर जीत की प्रेरणा देती है। यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक बनकर हमारे जीवन में हर साल एक नए अंदाज़ के रूप में आता है।
FAQ:
1. Durga Puja 2025 Bengali Date क्या है?
दुर्गा पूजा 2025 की बंगाली तिथियां इस प्रकार हैं:
- महालया: 21 सितंबर 2025
- महा पंचमी: 27 सितंबर 2025 (शनिवार)
- महा षष्ठी: 28 सितंबर 2025 (रविवार)
- महा सप्तमी: 29 सितंबर 2025 (सोमवार)
- महा अष्टमी: 30 सितंबर 2025 (मंगलवार)
- महानवमी: 1 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
- विजयादशमी: 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
2. Durga Puja kab hai
Durga puja date 27 सितंबर (शनिवार) से 2 अक्टूबर (गुरुवार) तक है
3. दुर्गा पूजा 2025 कलश स्थापना कब है?
2025 में कलश स्थापना 22 सितंबर 2025 (सोमवार) को होगी। शुभ मुहूर्त सुबह 6:09 AM से 8:06 AM तक रहेगा।
4. दुर्गा पूजा कितना दिन बाकि है ( How many Days left for Durga Puja 2025)
तारीख (15 सितंबर 2025) से दुर्गा पूजा की शुरुआत (27 सितंबर 2025) तक 12 दिन बाकी हैं।